खूब उड़ा है लाल गुलाल,
रंग हुआ है देश का लाल.
मन मानी भाई करी है सबने,
कौन बना है देश का लाल??
लालगढ़ के लाल हैं लाल,
बरफ भी हुई है फिर से लाल.
परवाह है भाई तुमको किसकी,
लगा के घूमो बत्ती लाल.
डुबा-डुबा के डुबा दिया है,
खेल भी कर दिये तुमने लाल.
फिर भी शर्म से भैया तोरे,
नहीं हैं बिलकुल लाल ये गाल.
बढ़ा बढ़ा के बढ़ा दिया है,
महंगाई ने किया बवाल.
इच्छा है भाई सबकी अब ये,
तुम पे ठोकें जम के ताल.
जाने कैसे सुनोगे तुम ये,
कैसे होगी पतली खाल??
--नीरज