भिखारिन -
मैं न रोई, न चीखी-चिल्लाई,
हर रात मैंने कुछ यूँ ही बिताई.
गुमसुम सी, निढाल पड़ी रही,
सितारों के संग मैंने रात जिमाई.
सुबहो का कोलाहल बुदबुदाता रहा,
कानों में पड़कर मेरे छटपटाता रहा.
कुछ लोग घेरे खड़े थे मुझको,
मौत मेरे कटोरे में देख ज़माना मुस्कुराता रहा.
भूख -
मैं भूख तेरी भी हूँ उसकी भी
फर्क बस इतना है - मुझे
मिटाने का तेरा जुनून बस
पल भर का होता है.
और उसका जुनून रात के
साए में भी कायम रहता है.
हर सांस पर मेरा साया,
गहरा होता जाता है.
उसका जुनून फिर भी कम नहीं होता,
हर क्षण पेट भीतर धसता जाता है.
--नीरज
मैं न रोई, न चीखी-चिल्लाई,
हर रात मैंने कुछ यूँ ही बिताई.
गुमसुम सी, निढाल पड़ी रही,
सितारों के संग मैंने रात जिमाई.
सुबहो का कोलाहल बुदबुदाता रहा,
कानों में पड़कर मेरे छटपटाता रहा.
कुछ लोग घेरे खड़े थे मुझको,
मौत मेरे कटोरे में देख ज़माना मुस्कुराता रहा.
भूख -
मैं भूख तेरी भी हूँ उसकी भी
फर्क बस इतना है - मुझे
मिटाने का तेरा जुनून बस
पल भर का होता है.
और उसका जुनून रात के
साए में भी कायम रहता है.
हर सांस पर मेरा साया,
गहरा होता जाता है.
उसका जुनून फिर भी कम नहीं होता,
हर क्षण पेट भीतर धसता जाता है.
--नीरज