किसी की ज़िन्दगी मे वक्त है, किसी के वक्त मे ज़िन्दगी। कहीं चार मीनार हैं तो, कहीं मीनारें हैं बस चार। है कहीं ज़िन्दगी गुलज़ार, तो कहीं है बेज़ारी का बाज़ार।
रहने को यूँ तो हैं घरोंदे बहुत, पर नींद से जगा देने वाले हैं हज़ार। परछाईअों की भी अाहट है यहां, बिखरा है सीलन पे परतौं का गुबार। बह जाने दे गालों को छूके अब, हो जाने दे 'नीर'-ऐ-दरिया मे शुमार।