शनिवार, फ़रवरी 14, 2009

यादें

बैठ के वो हम दोनों का बेमतलब पहरों हँसना,
तेरी वो खिली खिली मुस्कराहट आज भी मुझे याद है!

तुझे छूने पे शर्मा के वो ख़ुद में ही सिमट जाना तेरा,
तेरी आंखों में वो प्यार की चमक आज भी मुझे याद है!

मिलने के लिए तेरा वो चोरी से निकलना,
घर से फ़ोन आने पे तेरा वो घबराना आज भी मुझे याद है!

जुदाई का दिन भी नहीं भूला में अभी तक,
तेरे मोती तो नहीं चुने मैंने पर तेरी सिसकियाँ आज भी मुझे याद हैं!

1 टिप्पणी:

आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.