सोमवार, अक्टूबर 05, 2009
कश्मीर
चांदी सी रोशन वादी
सुर्ख लाल हो गयीं हैं,
सरहदें जोड़ती झेलम,
वादी में मौन हो गयी है
रहती थी जो अमन से यहाँ
जाने कहाँ वो शान्ति खो गयी है.
लगी है शायद नज़र कांगडी को
आंच से वो अब अंगार हो गयी है.
डल के शिकारों से बहती मोहब्बत
जिहाद का शिकार हो गयी है.
रोक दो जिहाद इंसानियत के खातिर
वादी ये अपनी रंग हीना हो गयी है.
कितना खुशगवार होगा नज़ारा जब-
डल में फिर शिकारे चलेंगे.
सड़कों पे लोग बे-खौफ चलेंगे.
Curfew बिना ईद पर गले मिलेंगे.
फिर गूंझेगी कल-कल झेलम की,
सफ़ेद चादर में लिपटी इस वादी में.
--नीरज
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शुभ विचार हैं।
जवाब देंहटाएंThink Scientific Act Scientific
बहुत सही हालात प्रकृति के माध्यम से बयान कर पाए हैं आप |
जवाब देंहटाएंखुबसूरत नजरिया कश्मीर के बारे में .
जवाब देंहटाएंgr888888.. bahut sunder kavita hai....vo kehte hai na chinta na karo chintan hi karo ..to ye chintan bahut sahi laga :-)
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