शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2009

-- शुभ दीपावली --



रौशनी का पर्व है आया
इस वर्ष फिर से.
घर-घर, गली-कूचे
रंगों से चमके हैं
रौशनी से दमके हैं.

गली-कूचे कुछ ऐसे भी हैं
जो चमके हैं न दमके.
आओ रौशनी का एक दिया
उस अँधेरी चौखट पे रखदें.
कुछ अँधेरी ज़िन्दगियों को
इस पर्व पे रोशन करदें.

-- शुभ दीपावली --

--नीरज

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपको भी प्रकाश और आंनद के इस पर्व की बहुत बहुत बधाई हो जी

    अजय कुमार झा

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  2. बढ़ा दो अपनी लौ
    कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

    इससे पहले कि फकफका कर
    बुझ जाए ये रिश्ता
    आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
    दीपावली की शुभकामना के साथ
    ओम आर्य

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  3. आपको भी बहुत शुभकामनाये !@

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  4. बढ़िया रचना..दीवाली मंगलमय हो!!!

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  5. बढ़िया रचना..दीवाली मंगलमय हो!!!

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  6. बढ़िया पंक्तियाँ.

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल ’समीर’

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