बहुत बार कही,
मगर कई बातें बेजुबां सी
लबो तक आने को लफ्ज़ ढूंढती रही .
बिलखते से जज्बात की तरह
जहन में कौंधती रहीं.
तुमने देखा नहीं शायद,
मेरी पलकों के साहिल पे
उन्हें खामोश बैठे हुए.
छूकर जो गुजरी यादो की बदली,
आँखों को समंदर करती रही.
बातें वो अनकही सी
तड़पती मोंज कि तरह.
पलकों को मेरी भिगाती रही.
--नीरज
Thanx to Vandana too who helped me with this creation. :)
खूबसूरत अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंCHO KAR JO GUJRI YADO KI BADLI
जवाब देंहटाएंDIL KO CHOO LENE PANKTIYA...
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
जवाब देंहटाएंneer aur vandna...dono ne mil kar bahut hi pyari nazm likhi hai ...bahut achhe mere bachhon ...:P
जवाब देंहटाएं@Sangeeta Masi - Shukriya... :)
जवाब देंहटाएं@Sanjay Ji - Bahut bahut shukriya... :)
जवाब देंहटाएं@Swapu - Thanx re.... :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंhmmm...walllaakammm :):
जवाब देंहटाएंabhi jyada sunder lag rahi hai padhne me ..:)
@Udan Tashtari Ji - Bahut bahut shukiya sir... :)
जवाब देंहटाएं@Vandana - Thanx for helping me... :)
जवाब देंहटाएंgood one....
जवाब देंहटाएं@Pallavi Ji - Bahut bahut shukriya.... :)
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