नीले आकाश के नीचे कुछ बादल अब बरसे हैं,
कच्चे घर की दीवारों पे कुछ रेले जा पसरे हैं.
सूरज जा अब चाँद उगा है, वो भी कुछ गीला-गीला है.
ताप रहा है आग भी लम्हा, वो भी कुछ सीला-सीला है.
- नीरज
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आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
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