बुधवार, जून 10, 2009

समय

याद करोगे जब मैं गुज़र जाऊंगा,
न आऊंगा न मैं फिर मिलूँगा.
ढूंढोगे सब गली-गली तब मुझको,
मैं चाँद अमावास का हो जाऊंगा.

बह जाऊँगा हाथ से तुम्हारे मूक होकर,
महसूस होऊंगा मैं तुमको बस ताप बनकर.
हाथ तुम्हारे, नाम मेरा होगा करनी पर,
कोसोगे मुझको तुम मेरे स्वामी बनकर.

मत मेरा तुम यूँ उपहास करो,
तुम उठो मेरा शीघ्र एहसास करो.
मुझे यूँ व्यर्थ गँवा कर हर पल,
अपने काल का न यूँ आह्वान करो.

तुम्हारी साँसें भी मेरे दम पे चलती हैं,
किस्मत भी मेरे आगे झुकती है.
शक्ति भी मैं हूँ जीवन की,
देह भी मेरे राह पे चलती है.

मैं समय हूँ, मैं काल हूँ, मैं बलवान हूँ,
ये घमंड नहीं मेरा ये चेतावनी है तुमको,
मत व्यर्थ करो, उपयोग करो,
ये अंतिम चेतावनी है मेरी तुमको.

--नीरज

2 टिप्‍पणियां:

आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.