
क्या पिलाऊं मैं तुझे ए लाल मेरे,
दूध मेरा तू पी चुका है,
और दूध में क्या कर बनाऊं?
भूख तेरी कैसे मिटाऊं ए लाल मेरे,
अन्न ख़त्म हो चुका है,
और दूध में क्या कर बनाऊं?
आसमान फटता नहीं ए लाल मेरे,
नीर सारा सूख चुका है,
और दूध में क्या कर बनाऊं?
अश्रु पीले तू मेरे ए लाल मेरे,
ये भी काफी बह चुका है,
और दूध में क्या कर बनाऊं?
यूँ न मुझ को छोड़ अधूरा ए लाल मेरे,
5 की आहुति से देह मेरा जल चुका है,
और एक कफ़न मैं क्या कर सिलाऊं?
और दूध में क्या कर बनाऊं ए लाल मेरे?
--नीरज
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