गुरुवार, अगस्त 20, 2009

Mou



छोटी सी एक प्यारी सी,
नन्ही सी राज दुलारी सी.

एक गुडिया घर में आई थी,
mou नाम से उसे बुलाई थी.

थोडी चुप-चुप, कुछ शरमाई सी,
भोली भाली, कुछ घबरायी सी.
मिठास शहद सी लायी थी,
mou नाम से उसे बुलाई थी.

अजय हुई तू एक पवन है,
निडर खड़ी तू एक गगन है,
ज़िंदगी में मौसुमी लायी है,
mou नाम से उसे बुलाई है.

--नीरज

2 टिप्‍पणियां:

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