सोमवार, जून 08, 2009

ऐसी ही आवाज़ मुझे सुनाई देती है

इंसान आज इंसान से भागे फिरते हैं,
भगवान तेरे बन्दे तुझसे भागे फिरते हैं.

माथे पे टीका, हाथों में माला,
दिल काजल से साने फिरते हैं.

मुँह में राम बगल में गुप्ती,
मुक्ति की माला फेरते फिरते हैं.

सुबह तेरा नाम जपते उठते हैं,
दिन भर गालिओं की प्रत्यंचा खींचते फिरते हैं.

तेरे दर पे आती आवाजों में आजकल,
भक्ति से ज्यादा इच्छा की गूंझ सुनाई देती है.
ऐसे आस्तिकों से में नास्तिक भला हूँ.
माफ़ करना ख़ुदा, ऐसी ही आवाज़ मुझे सुनाई देती है.

-- नीरज

12 टिप्‍पणियां:

  1. wah
    aapne to mere mann ki bat likh di
    beshak hai andaje baya......

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  2. माथे पे टीका, हाथों में माला,
    दिल काजल से साने फिरते हैं.

    मुँह में राम बगल में गुप्ती,
    मुक्ति की माला फेरते फिरते हैं.

    अच्छी सोच.... सुन्दर कविता
    भाई लिखते रहिये


    आज की आवाज

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  3. क्यों दुखी होते हैं बस अपाना ख्याल रखें आप ऐसा न करें http//:gazalkbahane.blogspot.com/या
    http//:katha-kavita.blogspot.com पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

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  4. khoob kahi bhai bhoob kahi...........
    badhai!

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  5. Aap sabhi ka tahe dil se bahut bahut shukriya. Aate rahiye ga. :)

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  6. waaaah niraj ji ..kya baat kahi hai ....apki har ek kavita har baar ek naye andaaj me apke vyaktitva ka parichya karati hai ....good luck for ur future

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  7. आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
    लिखते रहिये
    चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
    गार्गी

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  8. वाह वाह क्या बात है जनाब..............अच्छी कविता है............ व्यंगात्मक शैली में......... खूब लिखा है स्वागत है आपका

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  9. Aap sabhi ka tahe dil se shukriya jo aapne saraha aur hausla badhaya. :)

    Aate rahiye ga. :)

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  10. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.