रविवार, सितंबर 06, 2009
मुझे जीने दो....
आज में 25 साल का हूँ,
अपनी खुशिओं से बे-परवाह हूँ.
पिछली साल तक सब अच्छा था,
मैं अपने दोस्तों के दिल का हिस्सा था.
अब वो ही दोस्त जो घर पर आया करते थे,
बीते साल से उनके रस्ते भी बदल गए थे.
जब गली से गुज़रता था तो कोई
तिरछी निगाह कर देखता न था.
अब तो बस निगाहों से ही बात होती है,
सब को डर लगता है कहीं मुँह न खुल जाए.
अब तो उस दोस्त ने भी नाता तोड़ दिया जिसको
खून देने अस्पताल गया था और ऐवज़ में HIV साथ ले आया था,
तब नहीं पता था की खून के साथ कई रिश्ते,
कई दोस्त उस बिस्तर पे छोड़ आया था.
रात भर करवट बदल-बदल कर रोती है,
माँ है....झूठी हंसी तक समझती है.
रोज़ कोई न कोई मेरे हाल पे अफ़सोस जताने चला आता है.
30 मिनट में मेरी माँ को मौत की परछाई दिखा चला जाता है.
न जाने कब तक इन आंसूओं को छिपाकर पिऊंगा,
न जाने कब तक इस अँधेरी धूप में जिऊंगा,
जाना नहीं चाहता कहीं पर क्या करूँ,
जब मुझे ही सब छोड़ चले तब मैं यहाँ रहकर क्या करूँगा.
अपनी आशाओं, उमंगों को अपने साथ ले जाऊँगा,
इस संसार को बस अपनी याद दे जाऊँगा,
कुछ रोकर याद करेंगे कुछ हंसके,
लुप्त होती इंसानियत का बीज बो जाऊँगा.
एक गुजारिश है तुम पढ़े लिखों से,
किसी AIDS patient को अछूत न समझना,
वो अभी तक जिंदा है
उसकी भावनाओं को मुर्दा न समझना......
--नीरज
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बड़ी भावुक रचना है...जो इसका शिकार हैं उनपे क्या बीतती होगी..
जवाब देंहटाएंबहुत खुब, सुन्दर व उतनी ही मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंbahvook ho gaya, ji gaye kuch palon ke liye kavita
जवाब देंहटाएंshandar rachana achha paryas he.
जवाब देंहटाएंअपनी आशाओं, उमंगों को अपने साथ ले जाऊँगा,
जवाब देंहटाएंइस संसार को बस अपनी याद दे जाऊँगा,
कुछ रोकर याद करेंगे कुछ हंसके,
लुप्त होती इंसानियत का बीज बो जाऊँगा....neer sabse
jyada bhavuk or teekhi dil cheerne vali rachna hai ye ..hatts of for this deep thinking creation..
मार्मिक रचना!! ओह!
जवाब देंहटाएंgood.narayan narayan
जवाब देंहटाएंAap sabhi ko is rachna ke dard ko samajhne aur rachana saraahne ke liye bahut bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंAate rahiye... :)