गुरुवार, दिसंबर 31, 2009

बंसी का भूत




अरे कनहिया....कनहिया! जा तो जल्दी से झुम्मन चाचा को बुला कर ला.

(कुछ देर में कनाहिया वापिस आता है झुम्मन चाचा के घर से...)

मालिक, चाचा तो मिले नहीं वो पास ही गाँव में किसी को झाड़ा देने गए हैं, तो 1 घंटे में वापिस आ जायेंगे. छोटे चाचा ने कहा है की मझले भैया को वहीं ले आओ तो जैसे ही चाचा आयेंगे वो तुरंत झाड़ा दे देंगे.

(प्रेम नगर गाँव में और आस पास के सभी गाँव में झाडा, भूत बाधा हटाने के लिए झुम्मन चाचा बहुत मशहूर थे, हर दूसरे दिन कोई न कोई उनके दरवाज़े पे खड़ा रहता था हाथ में कुछ पैसे लिए और अपने रिश्तेदार के साथ की चाचा इलाज कर देंगे. कभी कभी तो मैं सोचने पे मजबूर हो जाता था की इस को प्रेम नगर क्यों बोलते हैं? इस को तो प्रेत नगर बोलना चाहिए.)

अरे मझले ! क्या हुआ इसे? ये फिर से मरघट के सामने से गुज़र गया? कितनी बार समझाया है की वहां से मत जाया कर पर ये कहाँ मानने वाला है.

अब चाचा क्या बताऊँ बड़ा भाई होने के नाते समझा के देख लिया पर इस को कुछ समझ नहीं आता. अब की बार बंसी की आत्मा आई है. सब कुछ सही सही बोल रहा है चाचा, घर पर तो कुछ ऐसी बातें बोल दीं इस कमबख्त बंसी की आत्मा ने की रात को मुझ पर बीवी का भूत सवार होने वाला है. तभी मैं जल्दी से आपके पास ले आया. अब बस आप जल्दी से मेरे भाई को ठीक कर दो तो मैं चैन की बंसी बजाऊँ.

(चाचा ने आधा घंटा बंसी की आत्मा को कोस-कोस के उसकी जम के पिटाई की और मझले को अद-मरा कर दिया. थोड़ी देर में बंसी का भूत प्रकट हुआ......)

चाचा क्यों मुझे बदनाम कर के इस बिचारे मझले को पीट ते हो? इस को किसी अस्पताल में दिखाओ और इलाज कराओ. हम भूत तो खुद तुम इंसानों से डर के रहते हैं के कहीं हमारी इज्ज़त को खतरा न हो जाए या कहीं किसी रोज़ हमे किसी घोटाले में न फंसा दो तुम लोग. आत्मा बन्ने के बाद सब के दिल की कालिख दिखती है और असलियत पता चलती है कि कौन कैसा है. तुम लोग तो एक दूसरे को ही मारने पे तुले हो, भाई-भाई का दुश्मन है, बाप कि नज़र बेटी पे रहती है, पड़ोस का लड़का या लड़की किस से मिलता है घर कि खिड़की से येही झांकते हो.
अरे चाचा, तुम्हारे अन्दर ही प्रेत है तो हम चिपट कर क्या करेंगे? और ये अन्दर का प्रेत किसी झाड-फूँक या तंत्र विद्या से नहीं जाता. जाता है तो अच्छी विद्या ग्रहन करने से, इंसान की इंसान के प्रति इंसानियत जागने से, श्रधा से.
तो चाचा अब झाड-फूक बंद और लोगों को ज्ञान देना शुरू....नहीं तो मैं चिपट जाऊंगा और फिर तुम में से मुझे कौन निकालेगा ????

4 टिप्‍पणियां:

  1. पढ़कर मज़ा आया...
    ऐसे ही लिखते रहिए...
    शुभकामनाएँ

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  2. bahut badhiya sandesh liye hue hai kahani .....or kahani kahan ye to ek dam sach hai ....india me pata nahi bhooto k chakkar me kitno ko adhmara kar dete roj ...jabki darna usse chahiye jo khud k andar baitha hua hai ..khair bahut badhiya laga :)

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  3. @Vandana

    Haan so to hai, yahan par kisi ko devi bana kar poojte hain to kisi ko chudail bata kar peet te hain.
    Aane aur sarahne ke liye shukriya.... :)

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