शनिवार, सितंबर 12, 2009

फकीर - एक गीत



ज़िन्दगी का मेला चलता,
सालों साल बराबर चलता.

खोज रहीं हैं मंजिल अपनी,
दर दर भटक रहीं साँसे.
बाँटता जा खुशियों को जग में,
निकल जायेंगी सब फांसें.

ज़िन्दगी का मेला चलता,
सालों साल बराबर चलता.

स्वर्ग नर्क किसने है देखा,
शब्-ओ-सहर है सब ने जाना.
मौत की चिंता छोड़ ओ प्राणी,
गाता जा खुशियों का गाना.

ज़िन्दगी का मेला चलता,
सालों साल बराबर चलता.

अन्तकाल तक यूँही फिरता,
कहता रहता चलता चलता.
हाथ लिए इकतारा फकीरा,
ज्ञान की माला जपता चलता...

ज़िन्दगी का मेला चलता,
सालों साल बराबर चलता.

--नीरज

7 टिप्‍पणियां:

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