शनिवार, मई 08, 2010

बुत

ये दुनिया 
बड़ी नादान है, 
हर रंगीन 
बुत को 
भगवान 
समझ लेती है. 
हाथ बढ़ा दे 
गर कोई 
प्यार का.
रावन को भी
राम समझ
लेती है.

--नीरज 

7 टिप्‍पणियां:

  1. उस वक्त तो राम ही नज़र आता है ना.... :):)

    अच्छी अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  2. @Maasi - haan ye to sach ahi par jab pata chalta hai ki ravan hai tab pachtava hota hai ki pehle dhyaan diya hota to ravan ko raam na samjha hota.

    aane k liye shukriya.... :)

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! क्या बात है ! कमाल की पंक्तिया और भाव है !

    जवाब देंहटाएं

आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.