रविवार, जनवरी 10, 2010

याद





वो मंज़र कभी याद आते हैं ,
कभी आँखों से बरस जाते हैं.

रह जाते हैं ठहर कर गालों पर,
मुस्कान बन बिखर जाते हैं.

दिन भर रहते हैं संग मेरे,
रात में तारे बन जगमगा जाते हैं.

चुभते हैं दिन भर दिल में मेरे,
रात होते ही महेक जाते हैं.

उठते हैं अंगार बनके ज़हन में,
राख बनके बिखर जाते हैं .

--नीरज



10 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरती से लिखे हैं एहसास .....

    यादों को हमेशा जगमगा कर रक्खो
    अंगार बने भी तो उन्हें जला कर रखो....

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  2. बहुत ही बढिया अभिव्यक्ति । बधाई

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  3. bahuuuuuuuuuuuuuuut khooob neeer ...last lin to behad khoobsoorat kahi hai ...:)

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  4. यादें तो वो दौलत है जिसके बिना ज़िन्दगी वीरान है...
    बहुत अच्छा पिरोया यादो को..

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  5. बहुत बढ़िया, नीरज..अच्छी गज़ल.

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  6. @Sangeeta Ji
    Bahut bahut shukriya maasi Ji... :)

    Angaaron ko ab tak jala kar rakha hai,
    Jalne ke dar se chupa ke rakha hai.

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  7. @Mithilesh Ji -

    Sarahne ke liye shukriya....aate rahiye ga.... :)

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  8. @Shabnam Ji -

    Yaadon ki daulat ko samajhne ke liye shukriya.... :)

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  9. @Udan Tashtari Ji -

    Bahut bahut shukriya sir... Keep coming... :)

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