मंगलवार, अप्रैल 07, 2009

मौत.....

मौत.....
एक अनसहा अहसास, एक खौफ, एक सच, एक अकस्मात क्रिया
ऐसे कई शब्द समाये हुए है ये शब्द.......मौत

चुपके से, आहिस्ता से सब कुछ शांत कर जाती है,
इंसान को बेबस कर उसकी हद पार कर जाती है तू।

साथ में अपने एक को ले जाती है,
पीछे कईओं को तड़पता छोड़ जाती है तू।

सब जानते हैं नसीब में है सब के तू,
फिर न जाने क्यों सब के दिल का खौफ बन जाती है तू।

मौत.....
एक क्षण, एक रहस्य, एक कल्पना,
इसे कोई समझ पाया है तो वो है सिर्फ और सिर्फ......मौत

--नीरज

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