गुरुवार, अप्रैल 23, 2009

नीर हूँ मैं नीर हूँ

आज की मैं पीड हूँ,
रहता बिन नीड़ हूँ,
बहारों की जननी मैं
नीर हूँ मैं नीर हूँ

सूखता नदी से आज
रोड पे पड़ा मैं आज
प्यासों की गुहार मैं
नीर
हूँ मैं नीर हूँ

आज में हूँ कल में भी
चक्षुओं के तल में भी
आत्मा की तृप्ति मैं
नीर हूँ मैं नीर हूँ

रोकलो बचा लो तुम
व्यर्थ न बहाओ तुम
ज़िन्दगी की कुंजी मैं
नीर हूँ मैं नीर हूँ

--नीर

1 टिप्पणी:

  1. nic one neer
    jab bhi tumhare blog par aati hoon to koi na koi purani post jaroor padhti hoor fir bhi har baar kuch na kuch reh hi jata hai hahha ..
    hatts of 4 ur all old posts.. rely good work

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आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.