मौत तू आएगी, न जाने किस लिबास में. दामन में गिरेगी या, उडा ले चलेगी.
सालों करवटें दिलवाएगी, या आघोष में भर ले चलेगी. दबे पाँव आएगी या, रोज़ एहसास के साथ आएगी.
जानता हूँ मौत तू एक रोज़ आएगी, झोंके के साथ मेरी रूह ले जायेगी.
--नीरज
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आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
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