हरिद्वार गया था कुछ रोज़ पहले, लोगों को पावन डुबकी लेते देखा, बस एक ही ख्याल आया दिल में, मनुष्य कितना विचित्र है, मरने से डरता है पर फिर भी, खुद की अस्थियाँ बहने से पहले, गंगा में प्रतिबिम्ब ज़रूर देखता है।
आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
choti kavita ka ghatak prahar.... superb !
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