सोमवार, मई 04, 2009

Section 49-O

साँसों में तूफ़ान लिए,
हाथों में पतवार लिए।
चलता है राह मुसाफिर,
आँखों में सैलाब लिए।

युग बीते सब वादे टूटे,
नैनों से बस हंजू टूटे।
ऊँगली पे निशान लगा,
आशा का अब साथ न टूटे।

संविधान को छुपाये रखा,
49-O बचा के रखा।
जनता अब है जाग रही,
अपना हक पहचान रही।

http://en.wikipedia.org/wiki/49-O
हंजू - आंसू

--नीरज

1 टिप्पणी:

आपके विचार एवं सुझाव मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तो कृपया अपने विचार एवं सुझाव अवश दें. अपना कीमती समय निकाल कर मेरी कृति पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.