न रात हूँ, न दिन हूँ,
न हूँ मैं भगवान कोई.
आकाश नहीं, पर्वत नहीं,
ना ही हूँ झरना कोई.
खामोशी की दस्तक नहीं,
न अँधेरे का फलसफा कोई,
न झील में तैरती पतवार हूँ,
न अम्बर का फ़रिश्ता कोई.
हाड मॉस का देह मेरा,
छोटा सा है ह्रदय मेरा.
रात मेरी भी हैं काली,
दिन होता रोशन मेरा.
अश्रु की पैदा वार भी है,
ग़मों की खरपतवार भी है.
अंधेरों से मैं भी हूँ डरता,
चांदनी की खिलखिलाहट भी है.
पूछते हो क्यों ये मुझसे,
कौन हूँ मैं कौन हूँ मैं?
तुम बताओ अब ये मुझको,
क्या तुमसे भी कुछ भिन्न हूँ मैं?
-- नीरज
पूछते हो क्यों ये मुझसे,
जवाब देंहटाएंकौन हूँ मैं कौन हूँ मैं?
तुम बताओ अब ये मुझको,
क्या तुमसे भी कुछ भिन्न हूँ मैं?
bhinn to nahi ho lekin phir bhi apne aap me alag ho ....is pehchan ke saath tum sabse alag hi pehchane jao esi hamari dua hai
आदमी मूरत है
चरित्र सूरत है
गुण वस्त्र है
संस्कार गहना है
simple Insaan ho
जवाब देंहटाएंshayad ..milawat ki kami hain....... wastvikta barkarar hain